Ø पाई एक अपरिमेय है जो किसी वृत के परिधि व व्यास का अनुपात होती है।

Ø प्रथम परमाणु परिक्षण - 18 मई 1974 में पोखरण राजस्थान में ऐ.पी.जे. अब्दुल कलाम व अटल बिहारी वाजपेयी के समय में किया गया था।

Ø समान द्रव्यमान के दो पिण्ड एक ही ऊचाई से नीचे गिराई जाती है। पहले को स्वतन्त्र ठीक नीचे गिराया गया और दूसरे को 2 मी./Sec के प्रारम्भिक वेग से क्षैतिज दिशा में फेका गया यदि वायु का वेग नगण्य हो तो पहले कौन पहुचेगा ------- दोनों एक साथ पहुचेगे।

Ø दंत मंजन पेस्ट, से पेशीय बल का प्रयोग हुआ जो कि एक सम्पर्क बल है। घर्षण भी सम्पर्क बल है।

Ø पृथ्वी से किसी पिण्ड का पलायन वेग - 11.2 किमी/Sec होता है।

Ø यदि दो वस्तुओं के बीच की दूरी आधी कर दी जाय तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण पहले के चार गुना होगा।

Ø अपकेन्द्रीय बल के उदाहरण - चक्रीय झूला, क्रिमी मशीन, वासिग मशीन आदि

Ø अभिकेन्द्रीय के उदाहण साइकिल चालक का अन्दर की ओर झूकना, मौत के कुएँ में सवार द्वारा लगाया गया अभिकेन्दीय बल जिसकी प्रतिक्रिया बल समान होती है। तो यह सन्तुलन में रहता है।

Ø जड़त्व के उदाहरण कम्बल झाड़ना, पेड़ से फल तथा पत्ते गिराना , सवारी का गाड़ी रूकने पर आगे गिरना, ठोकर खाकर गिरना आदि

Ø प्रतिक्रिया या तृतीय नियम - उदाहरण दिवार से घूसा मारने पर चोट लगना, बन्दूक का गोली छुटकर पीछे जाना

Ø संवेग संरक्षण नियम- पैदल चलना, घोडे के द्वारा गाड़ी खीचना आदि है यदि पृथ्वी का व्यास दूगूना हो पृथ्वी पर वस्तु का भार 1/4 हो जायेगा। किसी भी वस्तु को कही भी ले जाने पर उसके भार में परिवर्तन होता है जबकि वस्तु आयतन, घनत्व, द्रव्यमान में कोई अन्तर नही आता

Ø गतिज ऊर्जा में K= 1/2 mv2 अर्थात वेग को दुगुना करने पर गतिज ऊर्जा 4 गुनी होगी

Ø बल आघूर्ण - अधिक कार्य करना कम बल लगाकर

Ø साम्यवास्था या सन्तुलन = वस्तु पर लगने वाले सभी बलो का परिणामी बल शुन्य होगा।

Ø जब लिफ्ट ऊपर जाती है आभासी भार में वृद्धि होती है।

Ø कृत्रिम उपग्रह से कोई वस्तु फेक दी जाए तो वस्तु उपग्रह के चारो ओर चक्कर लगाने लगेगी।

Ø पृथ्वी पर सर्वाधिक भार धुर्वो पर जबकि सबसे कम भार भूमध्य रेखा पर होती है।

Ø किसी वस्तु का जड़त्व उसके द्रव्यमान पर निर्भर करता है।

Ø गाड़ी पलट जायेगी यदि गुरूत्व केन्द्र आधार के बाहर होगा।

Ø मेज पर पड़ा अण्डा उदासीन सन्तुलन मे होगा

Ø उपकरण

Ø ऊर्जा का रूपान्तरण

Ø विद्युत बल्ब, टयूब लाइट

Ø वैद्युत ऊर्जा से उष्मा एवं प्रकाश ऊर्जा में

Ø विद्युत सैल

Ø रसायनिक को विद्युत में

Ø मोमबत्ती

Ø रसायनिक ऊर्जा को प्रकाश व उष्मा में

 

Ø फोटो इलेक्ट्रिक सेल

Ø प्रकाश ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा में

Ø सौर ऊर्जा

Ø सौर को रसायनिक ऊर्जा में

Ø भाप, पेट्रोल,डीजल

Ø उष्मा व यान्त्रिक ऊर्जा में

Ø सितार, अन्य वाद्ययन्त्र

Ø यन्त्रिक ऊर्जा से ध्वनि ऊर्जा में


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Ø किसी गतिमान कार की गति दोगुनी कर देने पर उसे रोकने के लिए पहले की अपेक्षा चार गुनी बल लगाना पडेगा।

Ø ऊपर उठते हुए हथौडे की गुरुत्वीय उर्जा स्थितिज ऊर्जा होती है।

Ø चलती गाड़ी में बैठे व्यक्ति की ऊर्जा गतिज व स्थितिज दोनो ऊर्जा होगी।

Ø मनुष्य के शरीर को प्राप्त ऊर्जा रसायनिक ऊर्जा का जैविक ऊर्जा या पेशीय ऊर्जा में  परिवर्तन है।

Ø बायोडीजल रतन जोत व करंज से प्राप्त होता है।(पौधे से)।

Ø भूतापीय ऊर्जा का उपयोग सर्वाधिक न्यूजीलैण्ड एवं अमेरिका करते है। नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त करने वाला सर्वोत्तम तत्व यूरेनियम नामक रेडियोधर्मी धातु है।

Ø बायोमास(जैवमात्रा) ऐसे ईधन है जो जीवो का उत्पाद है।उदा. लकड़ी, चारकोल, उपला आदि।

Ø एक लड़की झुले पर बैठी झूला झूल रही है। उस लड़की के खड़े हो जाने पर आवर्तकाल कम हो जायेगा।

Ø पेडुलम घड़ी तीव्र गति से चल रही है ------- शीत काल में

Ø पदार्थ के संवेग व वेग के अनुपात में द्रव्यमान भौतिक राशि प्राप्त की जा सकती है।

Ø यदि पृथ्वी का द्रव्यमान वही रहे और त्रिज्या 1% से कम हो जाए तो पृथ्वी पर बल g का मान 2% बढ़ जायेगा।

Ø भारहीनता गुरुत्वाकर्षण की शून्य स्थिति में होती है।

Ø शून्य में स्वतन्त्र रूप से गिरने वाली वस्तुओं में समान त्वरण होता है। क्षैतिज वृत्त में नियत चाल से गतिशील वस्तु के लिए नियत है----- त्वरण

Ø वेग दोगुना करने पर संवेग भी दोगुना ही होगा

Ø एक वस्तु के जड़त्व की प्रत्यक्ष निर्भरता द्रव्यमान पर है।

Ø यदि कोई पिण्ड छत से गिराया जाए तो सवार्धिक गतिज ऊर्जा भूमि पर गिरने से ठीक पहले होगी।  

Ø द्रव्यमान- ऊर्जा का सम्बन्ध - सापेक्षता का सामान्य सिद्धान्त है।  

Ø डायनेमो युक्ति है जो यान्त्रिक को विद्युत में परिवर्तित करती है।

Ø संवेग के उदाहरण - लम्बी या ऊची कूद के लिए दूर से भागना , बालिंग करना आदि

Ø यूनिटो की संख्या वाट x घण्टा x दिन/ 1000

Ø भारत में कुल भाग का 25% जल विद्युत ही उत्पादित होता है।

Ø बोलने पर पेशीय ऊर्जा - ध्वनि ऊर्जा में बदलती है।

Ø चलने पर पेशीय ऊर्जा - गतिज ऊर्जा में बदलती है।

Ø भार उठाने पर पेशीय ऊर्जा - पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा बढ़ाने में

Ø ठोस कपूर से कपूर वाष्प बनने की प्रक्रिया को उर्ध्वपातन कहते है।

Ø ग्रीन हाऊस प्रभाव नाम केवेडिस ने दिया जिसने ग्रीन हाउस प्रभाव से घटते क्रम में जलवाष्प, कार्बन डाइआक्साइड , मेथेन , ओजोन बताया

Ø शीशे की छड़ जब भाप में रखी जाती है। इसकी लम्बाई बढ़ जाती है। परन्तु इसकी चौ. अपरिवर्तित रहती है।

Ø गीले विस्कुट, माचिस को फ्रिज में रखने से फ्रिज में आर्द्रता कम होती है जिससे अतिरिक्त नमी अवशोषित हो जाती है।

Ø गर्मियों में सफेद कपड़े पहनने से आराम मिलने का कारण उष्मा का परावर्तन है।

Ø थर्मोस्टेड यन्त्र है जो किसी निकार का स्व नियन्त्रित ताप करता है।

Ø तापमान को (-273c) कर देने से सभी गैस शून्य आयतन घेरेगी।

Ø ऊर्जा उत्पादन के लिए आवश्यक ताप नाभिकीय अभिक्रियाऐ तारो के अन्दर होती है।

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Ø यदि जल का तापमान 9.c से -3c तक कर दिया जाए तो आयतन पहले घटेगा फिर बढ़ेगा।

Ø थर्मोकपुर थर्मामीटर सीवैक प्रभाव पर कार्य करता है।

Ø वाष्प का द्रव में परिवर्तन संघनन कहलाता है।

Ø शक्कर के घोल का तापमान बढ़ाने पर शक्कर की विलेयता बढ़ती है।

Ø उष्मा प्रवाह तापमान के अन्तर का परिणाम है।  

Ø धातु के टेबल पर रखा गर्म काफी का कप चालन, संवहन, विकिरण एवं वाष्पीकरण द्वारा ठण्डा करता है।

Ø यदि 0c पर बर्फ के एक टुकड़े को एक वर्तन में मिलाया जाए तो कोई बर्फ नही पिघलगी

Ø प्रकाश वोल्टीय सेल सौर सेल को कहा जाता है।

Ø प्रकाश का संचरण विद्युत् चुम्बकीय तंरगो के रूप में तथा फोटोन के कणो के रूप में होता

Ø प्रकाश वेग निर्वात में -3x 10 मी./sec जबकि दूसरी चाल माध्यम पर निर्भर करती है।  

Ø प्रकाश का वेग सबसे पहले रोमन नामक वैज्ञानिक ने नापा था।

Ø जब पृथ्वी तथा सूर्य के बीच चन्द्रमा तो सूर्य ग्रहण तथा जब सूर्य, चन्द्रमा के बीच पृथ्वी तो चन्द्रग्रहण होता है।  

Ø प्रकाशीय मेज परावर्तन के सिद्धान्त पर कार्य करता है।

Ø तड़ित की चमक गर्जन से पूर्व सुनाई देती है। क्योकि प्रकाश की चाल अधिक और ध्वनि की कम है।  

Ø सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश पहुचने में 500 सेकेण्ड या 8 मिनट 16.6 सेकेण्ड लगता है।  

Ø प्रकाश संश्लेषण में सौर ऊर्जा रसायनिक में परिवर्तित होती है।

Ø विसर्जन लैम्पो में नियॉन गैस भरी जाती है।

Ø प्रकाश तरंगो का एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर आवृति वही रहती है। जबकि तंरग दैर्ध्य वेग बदल जाते है।  

Ø आपतन कोण परावर्तन के बराबर होता है यदि परावर्तन सिद्धान्त हो तो।

Ø 9 ली. पानी जमने वह बर्फ के रूप में आयतन 10 ली. हो जाता है पानी जमकर आयतन को बढ़ा देते है। तथा घी या मोम जमकर आयतन कम करते है।  

Ø पारे का हिमांक(-39c ) तथा क्वथनांक 357c  होता है ।

Ø तरल पदार्थों को गर्म करने पर इनके घनत्व में कमी आती है।  

Ø कांच,तांबा,सीसा,व जल की विशिष्ट उष्मा , में सबसे ज्यादा विशिष्ट उष्मा जल की 4.18 जूल/ग्राम.c इसलिए रोगी के सिकाई के लिए गर्म पानी का प्रयोग करते है।  

Ø एक आर्दश गैस को स्थिर ताप पर संपीडित किया जाए तो उसकी आन्तरिक ऊर्जा अपरिवर्तित रहेगी।  

Ø बन्द कमरे में फ्रिज का दरवाजा खोलने से तथा बन्द कमरे में पंखा चलाने से कमरे का ताप बढ़ जाता है।  

Ø बादल की राते हमेशा गर्म होने का कारण हवा में उष्मा का विकिरण रोकना है।

Ø सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश की ऊर्जा विकिरण विधि द्वारा पहुचती है जो प्रकाश की चाल के बराबर होती है।

Ø थर्मस के अन्दर दिवार पर रजत की परत चढाई जाती है। ताकि पेय पदार्थ ठण्डा या गर्म बना रहे

Ø दृश्य प्रकाश की तरंग दैर्ध्य 4000A° – 8000A° तक होती है।

Ø दैनिक जीवन में किरचॉफ का नियम थर्मस या चाय का प्याला है।

Ø खाना बनाने वाले बर्तनों में तली काली या खुरदरी अधिक उष्मा का अवशोषण के लिए बनाई जाती है।

Ø यदि अंधेरे कमरे में काली या सफेद धातु की गोलो को समान ताप पर गर्म करके रखा जाए तो काली गेद अधिक चमकेगी।  

Ø ठण्डे देश में कारों के रेडिएटर मे एथिलीन ग्लाइकोल पानी में मिलाकर भरा जाता है ।ताकि पानी का हिमांक बहुत कम हो जाए।

Ø ऊचाई बढ़ने पर वायुदाब घटता है इसलिए क्वथनांक भी घटता है।

Ø उबलता पानी के अपेक्षा भाप ज्यादा गर्म होती है क्योकि उष्मीय मान अधिक होता है।

Ø जब पानी में नमक मिलाते है तो क्वथनाक बढ़ जायेगा और हिमांक घट जायेगा।  

Ø यदि बर्फ में नमक मिला दिया जाए तो बर्फ का गलनाक घटकर (-22.C) अर्थात जिस ताप पर कुल्फी जमती है। वह बन जायेगा।  

Ø आर्द्रता के बढने पर वायु में ध्वनि का वेग बढ़ जाता है।

Ø हवा का तापमान बढ़ने पर उसकी जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

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Ø पसीने का मुख्य उपयोग वाष्पन से ताप में कमी आती है अतः इससे शरीर का ताप नियमित रहता है। पसीना श्वेद ग्रन्थि द्वारा शरीर से निकलता है। यही ग्रन्थि शरीर में पराबैंगनी किरणो से विटामिन डी का निर्माण करती है।

Ø पारा तथा गैलियम साधारण ताप पर द्रव अवस्था में रहती है।

Ø यदि केशनली की त्रिज्या दोगुनी कर दी जाए तो पानी 1/2 तक चढ़ जायेगा।

Ø दीपक का जलना, काटन में पानी चढ़ना, कागज का स्याही सोखना- केशिकत्व के कारण होता है

Ø फुआरा बरनौली के सिद्धान्त पर कार्य करता है।  

Ø एक आदर्श तरल की श्यानता शून्य होती है। जब साबुन पानी में घोलते है। तो पृष्ठ तनाव कम हो जाता है।  

Ø गर्म सूप अच्छा लगता है पृष्ठ तनाव कम होने के कारण

Ø ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव घटता है तथा क्रान्तिक ताप पर पृष्ठ तनाव शून्य होता है।

Ø हाथी दांत की प्रत्यास्थता अधिक तथा रबर उससे कम तथा सबसे कम मिट्टी में होती है। द्रव का ताप घटाने पर उसके वाष्पन की दर गतिज ऊर्जा कम हो जाने के कारण घट जाती है

Ø साबुन के बुलबुले के अन्दर का वायुदाब वायुमण्डलीय दाब से अधिक होता है।

Ø पूल की पटरियो के नीचे लकड़ी के पट्टे (स्लीपर्स) लगाये जाते है।

Ø उत्प्लावी बल निर्भर करता है- विस्थापित तरल के भार पर

Ø चन्द्रमा से यदि किसी पिण्ड को पृथ्वी पर लाया जाए तो भार बढ़ जायेगा और द्रव्यमान अपरिवर्तित रहेगा।

Ø पानी से सेविंग ब्रश निकालने पर बाल चिपक जाते है पृष्ठ तनाव के कारण


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